Tao Te Ching

by Laotse

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ताओ ते चिंग या दाओ दे जिंग प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक लाओ त्सू द्वारा रचित एक धर्म ग्रन्थ है जो ताओ धर्म का मुख्य ग्रन्थ भी माना जाता है। इसका नाम इसके दो विभागों के पहले शब्द को लेकर बनाया गया है - 'दाओ' और 'दे' - जिनके अंत में 'जिंग' लगाया जाता है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार लाओ त्सू चीन के झोऊ राजवंश काल में सरकारी अभिलेखि थे और उन्होंने इस ग्रन्थ को छठी सदी ईसापूर्व में लिखा था, हालांकि इसकी रचना की असलियत पर विवाद जारी है। इसकी सबसे प्राचीन पांडुलिपियाँ चौथी शताब्दी ईसापूर्व से मिली हैं।
ताओ ते चिंग ग्रन्थ का सबसे पहला वाक्य है 'जिस मार्ग के बारे में बात की जा सके वह सनातन मार्ग नहीं है'। पूरे ग्रन्थ में बार-बार इस 'मार्ग' शब्द का प्रयोग होता है और समीक्षकों में इसको लेकर आपसी बहस हज़ारों सालों से चलती आई है। इस प्रश्न के उत्तर में कि यह किस मार्ग की बात कर रहा है - धार्मिक, दार्शनिक, नैतिक या राजनैतिक - समीक्षक ऐलन चैन ने कहा है कि 'ऐसी श्रेणियाँ ताओवादी नज़रिए में एक ही हैं और इनका खंडिकरण केवल पश्चिमी विचारधाराओं में ही होता है'। ताओ-धर्मियों के अनुसार ताओ में जिस मार्ग की बातें होती हैं वह सत्य, धर्म और पूरे ब्रह्माण्ड के अस्तित्व का स्रोत है।

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