The Journey to the West, Volume 1

by Wu Cheng'en

Blurb

पश्चिम की यात्रा चीनी साहित्य के चार महान प्राचीन उपन्यासों में से एक है। इसका प्रकाशन मिंग राजवंश के काल में सन् 1590 के दशक में बेनाम तरीक़े से हुआ था। बीसवी सदी में इसकी लिखाई और अन्य तथ्यों की जाँच करी गई और इसे लिखने का श्रेय वू चॅन्गॅन नामक लेखक को दिया गया। इसकी कहानी प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ह्वेन त्सांग की भारत की यात्रा पर आधारित है।
ह्वेन त्सांग तंग राजवंश के काल के दौरान "पश्चिमी क्षेत्रों" के दौरे पर बौद्ध सूत्र और ग्रन्थ लेने आये थे। इस उपन्यास में दिखाया गया है कि महात्मा बुद्ध के निर्देश पर गुआन यिन नामक बोधिसत्त्व ने ह्वेन त्सांग को भारत से धार्मिक ग्रन्थ लाने का कार्य सौंपा। साथ ही उन्होंने ह्वेन त्सांग को शिष्यों के रूप में तीन रक्षक दिए: सुन वुकौंग, झू बाजिए और शा वुजिंग । इस उपन्यास का मुख्य पात्र सुन वुकौंग है और कभी-कभी इस कहानी को "बन्दर की कहानी", "बन्दर देव की कहानी" या सिर्फ़ "बन्दर" भी कहा जाता है। बहुत से विद्वानों का मानना है कि सुन वुकौंग की प्रेरणा वास्तव में हनुमान के चरित्र से हुई है।
इस उपन्यास का बहाव ऐसा है कि इसमें इन यात्रियों का भारत के निटक आते जाना जागृति और पुण्य के निकट आते जाने के समान दिखाया गया है।

First Published

1592

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alexandru.chereches

Alexandru.chereches

O carte captivanta si minunat de citit iarna la gura sobei cu un strop de ceai verde.

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